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Showing posts from August, 2008

यादों की गुत्थी

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बीती यादें .. बहेता पानी, दोनों की एक सी कहानी ,, पानी का अन्नंत प्रवाह है ,यादों को भी यही कहा है पल जो बिता ना वापस आए बीते पल , पल पल तडपाये . चले जाते है वो फ़िर ना आने के लिए , पीछे रह जाए सब , सताने के लिए ॥ काली परछाई जैसे साए , यादों की पहेचान बताये .. अच्छी मीठी कड़वी यादे , खट्टी इमली जैसी बातें , सतरंगी से इस जीवन सतरंगी ही होती यादें ,, जीवन चक्र बड़ा ही अनिश्चित ,बीते दिनों की पूंजी ही सुरक्षित , पर अवरुद्ध करे ये मार्ग कभी , यादों में डूबे है सभी ,, जैसी पानी बहेता जाए प्रवाह ही उसे अमृत बनाये , वर्तमान की कर पहेचान ,ये भी होगा यादों के समान, जाग ज़रा तू भूत भविष्य की उलझन से , वर्तमान की इस खिड़की में झाँक ज़रा तू सुनहरी अनजान सी दुनिया है परन्तु अनिश्चित में ही निश्चित उलझा है ,

नवजीवन

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आशाये तो मन मे है, कदम सब के मजबूर है आगे इतना चल लिए , अब चलने को मजबूर है , मुड के देखो क्या है छूटा पीछे अपनी राहो मे, किस किस के आंसू निकले , सुन ज़रा उठती आहो मे दुख दिया कितनो को, तडपया और निराश किया, जा शुरू कर नवजीवन फिर से, सबने तुझे माफ किया , भर उमंग सर उठा, आगे ही बढ़ता जा, आने वाले अवरोधो से तू बिना डिगे अब तरता जा ॥

नव रूप

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नई नई भाषा है, नये नये रूप है, इस जग मे उठते हुए, ऐसे कई स्वरूप है मन एक है जान एक है, बाकी मिथ्या और झूट है, इंसानियत को पहचानो वरना, आपस मे ही फुट है, एक समय ऐसा भी होगा, भेद भाव ना होंगी कोई, मानव धर्म एक ही होगा, जैसे माला मे पिरोए मोती