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लपक झपक तू आरे बदरवा

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हाफ्फ्फ़ ॥ बारिश बारिश और बारिश॥ इंदौर के लोग बारिश के लिए यज्ञ कर रहे थे ३ महीने पहेले। और २ दिन की बारिश ने लगता है उनको भी लग रहा होगा की भगवान् लोगो की पुकार सुनते है॥ पर लगता है सब की तो नही सुनते॥ .कल प्रचंदाकारी बारिश में घर जाते समय उफनाते नालो और उसके किनारों की बस्तियों पर लोगो के घर पर से जाए हुए पानी को देख कर बरसो पहले देखि हुई एक फ़िल्म की याद आ गई ॥ फ़िल्म थी "बूट पोलिश".....जैसा याद आ रहा है .... उसमे डेविड जब जेल में अपने साथियों के मनोरंजन और उनपर प्रभाव ज़माने के लिए राग मल्हार गाता है॥ और वों गाना गता है... "लपक जपक तू आ रे बदरवासर की खेती सूख रही हैबरस बरस तू आ रे बदरवाझगड़ झगड़ कर पानी ला तूअकड़ अकड़ बिजली चमका तूतेरे घड़े में पानी नहीं तोपनघट से भर लारे बदरवा ...बन में कोयल कूक उठी हैसब के मन में हूक उठी हैभूदल से तू बाल उगा देझट पट तू बरसारे बदरवा ..." और गाने के अंत में सच मच मुसलाधार बारिश हूँ जाती है ... और उसको देख कर पहेले वों खुश होता है की उसकी राग मल्हार सफल हो गया ॥ और फ़िर रोने लगता है..... उसे अपने बस्तियों के साथियों की याद आने लगती है॥