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Showing posts from October, 2008

अपने अपने मदिरालय

मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला, 'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला, अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ - 'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।' क्या समझे , नही नही में कोई प्रवचन नही दे रहा हु ,, की बच्चन साहब का कहना ये है की अगर जीवन में एक राह चलोगे के तो आपने जीवन के सपने को पा सकते है पर में तो बता रहा हु की शयद उस समय भी परिस्थितिया कुछ ऐसी होंगी जैसी की आज है। गाँधी के इस देश में सारी राहे किसी ना किसी मधुशाला में ही जा कर ख़तम होती है, चारो और मधुशालाये ही है। चाहे वों गन्ने के रस की ही क्यो ना हो पर मधुशाला तो है, कहेने का मतलब ये है की हर व्यक्ति कही भी जाए प्हुचाता मधुशाला ही है, चलो पॉइंट पर आता हु, शायद आप बोलेंगे की पागल हो गया है ये आदमी तो ,, पर नही लोग सब और मस्त है , क्या हो रहा है चारो और कोई मतलब नही बस अपन घर पहुँच जाए काफ़ी है .....

भारत निर्माण

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भारत निर्माण आइये में आपको भारत निर्माण की विधि बताता हूँ , ये ज़्यादा कठिन नही है , सब से पहेले एक अच्छा सा सुंदर सा देश जो की वास्तव में ज़मीन का एक टुकडा होता है जिसे की लोग अपनी भावना अनुसार मर्ताभूमि भी कहेते है, चलिए में आप को विधि बनता हु , हा वों जो ज़मीन का टुकडा है उसके २ या ३ टुकड़े कर दी जिए , धर्म के आधार पर , एक को पाकिस्तान नाम दीजिये और दुसरे को हिन्दुस्तान , अब जो साइड में पाकिस्तान है उसे भाषा के आधार पर दो भाग में बात दीजिये , बंगाली मुसलमान वाला बांग्लादेश और बाकी बचा उर्दू बोलने वाला पकिस्तान, अब ये पाकिस्तान भी फलतीउ नही है , इसे साइड में रख दीजिये ये बाद में बाजार लगाने में काम आएगा , हां अब जो आपका जो तथाकथित धर्म निरपेक्ष हिस्सा था, हिन्दुस्तान ... इससे भी भाषा से बात लीजिये , २८ भाषायें , २८ हिस्से , फ़िर बच्चे हुए हर भाग को और लोगो को जात पात ,धर्म विधर्म , बड़े छोटे के आधार पर बाटे॥ अब आपके पास कई सारे छोटे छोटे हिस्से है , अभी भी ये सब कच्चा है इससे नफरत की आग पर पकाए और पकने दे और पकाने वाले बावर्ची जिसे नेता बोलते है को सोये रहेने दे , उससे वैसे भी कोई मतलब...