ज़िन्दगी में दर्द और भी है कहते हो हर बात को तुम, रोता है कोई आसमानों में कहते हो बरसातों को तुम | दिल का दर्द छुपाना तो सीख लिया अब तुमने, छुपाओगे कैसे अपनी आवाज़ की खराशो को तुम ||
दिल की आग ये या, बेबसी है ये ! ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं, खुदख़ुशी है ये !! क्यों करें कुछ ऐसा, की याद करे ज़माना ! न कुछ कर सके, तो क्या ज़िन्दगी है ये !!