यादों की गुत्थी
बीती यादें .. बहेता पानी, दोनों की एक सी कहानी ,, पानी का अन्नंत प्रवाह है ,यादों को भी यही कहा है पल जो बिता ना वापस आए बीते पल , पल पल तडपाये . चले जाते है वो फ़िर ना आने के लिए , पीछे रह जाए सब , सताने के लिए ॥ काली परछाई जैसे साए , यादों की पहेचान बताये .. अच्छी मीठी कड़वी यादे , खट्टी इमली जैसी बातें , सतरंगी से इस जीवन सतरंगी ही होती यादें ,, जीवन चक्र बड़ा ही अनिश्चित ,बीते दिनों की पूंजी ही सुरक्षित , पर अवरुद्ध करे ये मार्ग कभी , यादों में डूबे है सभी ,, जैसी पानी बहेता जाए प्रवाह ही उसे अमृत बनाये , वर्तमान की कर पहेचान ,ये भी होगा यादों के समान, जाग ज़रा तू भूत भविष्य की उलझन से , वर्तमान की इस खिड़की में झाँक ज़रा तू सुनहरी अनजान सी दुनिया है परन्तु अनिश्चित में ही निश्चित उलझा है ,