नवजीवन


आशाये तो मन मे है,


कदम सब के मजबूर है


आगे इतना चल लिए ,


अब चलने को मजबूर है ,


मुड के देखो क्या है छूटा


पीछे अपनी राहो मे,


किस किस के आंसू निकले ,


सुन ज़रा उठती आहो मे


दुख दिया कितनो को,


तडपया और निराश किया,


जा शुरू कर नवजीवन फिर से,


सबने तुझे माफ किया ,


भर उमंग सर उठा,


आगे ही बढ़ता जा,

आने वाले अवरोधो से तू

बिना डिगे अब तरता जा ॥

Comments

Bahut khoob , har nayee rachna ke sath ..tumhari kala me nikhar aa raha hai ....
bhavnao ko aise hi bahne de ...

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