हिममता और महेनता -- यादो का अल्बम -1
चौकिये नही की ये क्या लिखा है, में अभी आप को समझाता हु,
बात है सन १९८७ की, जब में ४-५ साल का था, और सब बच्चो की तरह शरारती था पर अपनी धों में कोय रहेने वाला बच्चा था, हुआ कुछ ऐसा की में सब के सामने अखबार ले कर बैठा, सब को प्रभीवित करने के लिए मेने वों अख़बार पढ़ना शुरू किया, सब से अच्छा फिल्मो वाला पेज लगता था, जहा पर सिनेमा में जो फिल्म लगती थी उनके पोस्टर और समाये रहेते थे , जैसे शोले - शान से -- रोजाना ३ खेल ...
में एक केथोलिक स्कूल में था, तो ज़ाहिर था की मेरी हिन्दी पर इतना ध्यान नही दिया जाता था जितना अंग्रेज़ी पर, तो मेने फिल्मो के नाम पढ़ना शुरू ही किए थे की सब मुझ पर हँसना शुरू हो गए, मेरे दिनेश भइया, पापा॥ मुझे लगा मेने क्या गलती की है॥ मेने फ़िर से ज़ोर से पढ़ा ...हिममता और महेनता ॥ हेहेहे ॥ फ़िर से हँसे सब ॥ भइया, बोले क्या पढ़ रहा है , ध्यान से पढ़, मेने पढ़ा ही ममता और महेनता ॥ गलती मेरे नही थी ॥ आप मत हंसिये ,, फ़िल्म का नाम था हिम्मत और महेनत ॥ पर मेरा मात्र ज्ञान मजोर था जैसा जी सब के साथ शयद होता होगा,, पर यादो के पटल पर ये वाली बात आज तक ताज़ा है और याद कर के आज में सब हंस लेते है
बात है सन १९८७ की, जब में ४-५ साल का था, और सब बच्चो की तरह शरारती था पर अपनी धों में कोय रहेने वाला बच्चा था, हुआ कुछ ऐसा की में सब के सामने अखबार ले कर बैठा, सब को प्रभीवित करने के लिए मेने वों अख़बार पढ़ना शुरू किया, सब से अच्छा फिल्मो वाला पेज लगता था, जहा पर सिनेमा में जो फिल्म लगती थी उनके पोस्टर और समाये रहेते थे , जैसे शोले - शान से -- रोजाना ३ खेल ...
में एक केथोलिक स्कूल में था, तो ज़ाहिर था की मेरी हिन्दी पर इतना ध्यान नही दिया जाता था जितना अंग्रेज़ी पर, तो मेने फिल्मो के नाम पढ़ना शुरू ही किए थे की सब मुझ पर हँसना शुरू हो गए, मेरे दिनेश भइया, पापा॥ मुझे लगा मेने क्या गलती की है॥ मेने फ़िर से ज़ोर से पढ़ा ...हिममता और महेनता ॥ हेहेहे ॥ फ़िर से हँसे सब ॥ भइया, बोले क्या पढ़ रहा है , ध्यान से पढ़, मेने पढ़ा ही ममता और महेनता ॥ गलती मेरे नही थी ॥ आप मत हंसिये ,, फ़िल्म का नाम था हिम्मत और महेनत ॥ पर मेरा मात्र ज्ञान मजोर था जैसा जी सब के साथ शयद होता होगा,, पर यादो के पटल पर ये वाली बात आज तक ताज़ा है और याद कर के आज में सब हंस लेते है
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