यादो की गुत्थी-मेमेंटो
यादो की गुत्थी-मेमेंटो
पिछले हफ्ते ग़ज़नी के प्रभाव से मेने उसकी प्रेरणा स्त्रोत मेमेंटो देख ली...और लगा तार २ बार देखी क्यो की वो बनी ही कुछ ऐसे थी॥और शायद मेरे जीवन मे जहा तक मुझे याद है ये सबसे ज़्यादा इंटेलिजेंट मूवी है... सारे सीन उल्टे(chronologically) है, और साथ ही समानांतर रूप से कुछ श्याम श्वत सीन भी च्लते रहेते है जो की सीधे है,, और ये जो उल्टे सीन है ये श्यद १०-१२ मीं का एक है और एक घटना होती है फिर आप अगले सीन मे देखते है की वो घटना क्यो हुई, अतः एक रहस्य बना रहता है , और आपको जो हो चुका है उसे याद रखने की चुनोती भी होती है बिलकूल इस चल चित्र के नायक की तरह ..जिसे १५ मिनिट से ज़्यादा कुछ याद नही रहता। इस तरश निर्दशेक ने एक लॉजिकल फ्लो बाँया है हर सीन अपने आप मे पूर्ण है और आपको ऐसा नही लगता की कुछ चीज़े समाज़ नही आ रही .. इस बात का ध्यान रखा गा है की हर सीन अपने आपमे अर्थपूर्ण हो ..दूसरी बात ये है की अंत मे कुछ नायक के दिमाग़ की तरह आपके दिमाग़ मे भी कुछ अनसुलझे प्रश्न रह जाते है.. पेर कभी लगता है की आपको पता है .. आपके दिमाग़ को एक दम ज़ोर डालने पर आप कुछ प्रश्नो के उत्तर पाते है तो कही पर और उलझ जाते है.. परंतु निर्देश का कहना है की सारे उत्तर इसी कथानक मे है, और ये अपने आप मे संपूर्ण है .. ये सारी बाते इसे एक अद्वितीय क्राती बनती है और ये एक क्लॅसिक की श्रेणी मे आजाती है॥
पिछले हफ्ते ग़ज़नी के प्रभाव से मेने उसकी प्रेरणा स्त्रोत मेमेंटो देख ली...और लगा तार २ बार देखी क्यो की वो बनी ही कुछ ऐसे थी॥और शायद मेरे जीवन मे जहा तक मुझे याद है ये सबसे ज़्यादा इंटेलिजेंट मूवी है... सारे सीन उल्टे(chronologically) है, और साथ ही समानांतर रूप से कुछ श्याम श्वत सीन भी च्लते रहेते है जो की सीधे है,, और ये जो उल्टे सीन है ये श्यद १०-१२ मीं का एक है और एक घटना होती है फिर आप अगले सीन मे देखते है की वो घटना क्यो हुई, अतः एक रहस्य बना रहता है , और आपको जो हो चुका है उसे याद रखने की चुनोती भी होती है बिलकूल इस चल चित्र के नायक की तरह ..जिसे १५ मिनिट से ज़्यादा कुछ याद नही रहता। इस तरश निर्दशेक ने एक लॉजिकल फ्लो बाँया है हर सीन अपने आप मे पूर्ण है और आपको ऐसा नही लगता की कुछ चीज़े समाज़ नही आ रही .. इस बात का ध्यान रखा गा है की हर सीन अपने आपमे अर्थपूर्ण हो ..दूसरी बात ये है की अंत मे कुछ नायक के दिमाग़ की तरह आपके दिमाग़ मे भी कुछ अनसुलझे प्रश्न रह जाते है.. पेर कभी लगता है की आपको पता है .. आपके दिमाग़ को एक दम ज़ोर डालने पर आप कुछ प्रश्नो के उत्तर पाते है तो कही पर और उलझ जाते है.. परंतु निर्देश का कहना है की सारे उत्तर इसी कथानक मे है, और ये अपने आप मे संपूर्ण है .. ये सारी बाते इसे एक अद्वितीय क्राती बनती है और ये एक क्लॅसिक की श्रेणी मे आजाती है॥
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