सारे जहाँ से अच्छा-- विचार बड़ा या विचारक
कभी कभी ऐसा होता है, की कोई विचार किसी विचारक से बड़ा बन जाता है , या कोई रचना रचियता से ज़्यादा महान हो जाती है , कोई की रचना कार का अपना एक जीवन काल होता है और रचना का अपना, रचना कार अपने जीवन कल में अपने मूल विचार से भटक सकता है या फ़िर अपनी विचार धारा परिवर्तित कर सकता है, परन्तु रचना जो होती है वों अपने अलग ही जीवन काल में होती है और काफी समय बाद जब कोई रचनाकार अपनी रचना को देखता है तो वों उस विचार से ही अनजान लगता है जो उसने खुद रचा था, "सारे जहा से अच्छा " जिसे तराना-ए-हिन्द कहा जाता है इसी का एक जीता जगता उदहारण है , इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने 1905 में लिखा था, और पूरी उमंग से एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सुनाया था , यह ग़ज़ल हिन्दुस्तान की तारीफ़ में लिखी गई है और अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच भाई-चारे की भावना बढ़ाने को प्रोत्साहित करती है, परन्तु 1905 के बाद इकबाल के विचारो में काफ़ी परिवर्तन आया , और उन्हें भाईचारे की जगह शायद धार्मिक चश्मा लगा लिया और भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले उठाया। वे जिन्ना के प्रेरणा स्त्र...