पिछले शुक्रवार को अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद ऑफिस जल्दी आ कर शाम को पुस्तक मेला गया,, काफ़ी दिनों से इच्छा थी॥ या कहू कुछ सालो से , की पुस्तक मेले में जाऊँगा और कुछ बुक्स खरीदूंगा अच्छी अच्छी॥ शाम करेब ५.३० पर , GSITS के सामने बल्विने मन्दिर पर लगे पुस्तक मेले में गया॥ कुछ खास नही करीद पाया। मेने शरद जोशी की २ किताबे खरादी , जो लोग शरद जोशी को नही जानते उन्क्की जानकारी के लिए वों हिन्दी व्यंग के शिखर पुरूष थे और उनके समक्ष में केवल परसाई जी को रखता हु , उनके व्यंग आम आदमी के व्यंग होते है और साथ में कुछ तीखे तीर भी होते है , जैसे शक्कर की चासनी में किसी ने हरी मिर्ची किला दी हो ॥ खेर फ़िर मेने कुछ और किताबे ली कुछ furniture designing की ॥ अच्छा कोल्लेक्शन था॥ पर फ़िर अगले साल की व्यस्तता को देखते हुए ॥ मेने ज़्यादा कहानियो की किताबे नही ली॥ क्यो की मेरे जीवन में ही एक नया अद्ध्याय शुरू होने वाला है ,, आज ३ फरबरी है और ..१३ को शादी होने वाली है ॥ चंद दिन ही है शेष... आज भयिया भी आए USA से ,, साथ में छोटू और भाभी,, छोटू को देख कर भौत ही सुकून मिलता है ॥ भौत ही प्यारा बच्चा है ..आज ...
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