एक बार किसी ने गाँधी जी से पुछा.. आप आजाद भारत में कैसी शिक्षा प्रणाली चाहते है बापू, तो गाँधी जी बोले,,, की जब में किसी कक्षा में बच्चो से पूछु की अगर एक दुकान दार २५ पैसे में एक सेब खरीदता है और १ रूपए में बेचता है तो उसको कितना मुनाफा मिलेगा , और अगर सारे बच्चे जवाब दे की " जेल होगी" ऐसी नैतिक सिख्षा चाहता हु॥ किसी भी व्यापारी को नैतिकता के आधार पर ये हक नहीं है की वो २५ पैसे की चीज़ पर तिगुना लाभ कमाए। आज कल जो जीना साहब की बहस हो रही है की वो महान नेता थे धर्मनिरपेक्ष थे और पाकिस्तान ने उनके सपनो को पूरा नहीं किया .. प्रश्न ये है की क्या हिंदुस्तान ने गाँधी के सपनो का भारत बनाया है ...? आज़ादी के पहले दिन जब पूरा देश उत्सव में डूबा था तब भी गाँधी जी यही कहते थी की उत्सवो से पहेले देश बनाओ। आज तक ये देश तथाकथित आज़ादी के उत्सव में डूबा है,, भ्रस्ताचार की आज़ादी, खून करबे की आज़ादी, फरेब और ज्हूठ की आज़ादी, प्रांतवाद की आज़ादी॥ पैर जो सपने एक आजाद देश के आ व्यकी ने देखे थे जिनको सब राष्ट्र पिता और बापू कहते है वो शयद ५०० के नोट की तस्वीर में बस कर रह गए है,, उस के बह...